बस आत्मशोधन और धैर्य के स्वभावगत बहाव से हमें भी पत्थरों को मृदा कण बनाना होगा ताकि उर्वर व्यक्तित्व का निर्माण हो सके.
2.
दूसरे शब्दों में मृदा-अपरदन एक ऎसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा मृदा कण बाहरी कारकों (हवा या बहते जल) के प्रभाव से एक स्थान से दूसरे स्थान को स्थानान्तरित हो जातें है।
3.
उछलती, कूदती, बाधाओं से टकराती कल-कल की संगीतमयी ध्वनि के साथ दरिया अपने जीवंत बहाव से राह में आने वाली चट्टानों को तोड़कर उसे पत्थर और फिर पत्थरों को रेत कण और मृदा कण में परिवर्तित करती चलती है.